महामहिम: आइये जानते हैं डॉ. कलाम के मिसाइल मैन से राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र

एक पहल की शुरुवात की है. इस पहल में रोजाना आपको एक राष्ट्रपति के अनसुने किस्से पढ़ने को मिलेगें. इससे पहले आपने पढ़ा था बाबू राजेंद्र प्रसाद  के साथ ही सर्वपल्ली राधाकृष्णन  जाकिर हुसैन , वी.वी.गिरी  डॉ. फखरुद्दीन अली  नीलम संजीवा  ज्ञानी जैल रामास्वामी वेंकटरमण डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा  के. आर. नारायण की अनसुनी कहानी. आज किस्सा एक महान वैज्ञानिक का जो कि बाद में राष्ट्रपति बने. ये कहानी है डॉ. ए. पी. जे अब्दुल कलाम के बारे में.

अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के धनुषकोडी गांव में हुआ था. डॉ. ए. पी. जे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम था. उनका परिवार गांव के बड़े परिवारों में से गिना जाता था.उनके परिवार में सदस्यों की संख्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह स्वयं पांच भाई और पांच बहन थे. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. उनके पिता जैनुलाब्दीन मछुआरों को नाव किराए पर देते थे. अब्दुल कलाम के जीवन पर अपने पिता के व्यक्तित्व का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा. कलाम ने अपनी आत्मकथा Wings Of fire में अपने पिता का ज़िक्र करते हुए कहा था कि आज मैं जो भी हूं, उसमे मेरे पिता के अद्भुत व्यक्तित्व का बहुत बड़ा योगदान रहा है.

अब्दुल कलाम वैज्ञानिक सफ़र-
अब्दुल कलाम के शिक्षा की सफ़र की शुरुआत रामेश्वरम के प्राथमिक विद्यालय से हुई. उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई रमानाथपुरम (रामेश्वरम में) के Schwartz Higher Secondary School से पूरी की. इसके बाद स्नातक तक की पढ़ाई करने के लिए उन्होंने तिरुचिरापल्ली के St. Joseph College में एडमिशन लिया. वह आगे की पढ़ाई के लिए साल 1955 में मद्रासगए और साल 1958 में Madras University से Space Science में स्नातक की डिग्री हासिल की.

अब्दुल कलाम का सपना Indian Air Force में जाने का था. दरअसल वो फाइटर प्लेन के पायलट बनना चाहते थे, और इसके लिए उन्होंने कई प्रयास भी किए, लेकिन उनके हर बार निराशा ही हाथ लगी. Space Science में Graduation Complete करने के बाद उनकी योग्यता को देखते हुए उन्हें DRDO में Director पद पर नियुक्त किया गया. जहां पर उन्होंने डीआरडीओ के हावरक्राफ्ट परियोजना का सफल संचालन किया.
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डीआरडीओ में अपने द्वारा किये गए कामों से वह खुद खुश नहीं थे. इसलिए उन्होंने साल 1962 में D.R.D.O को छोड़कर I.S.R.O ज्वाइन कर लिया. वहां पर उन्हें भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह S.L. V.3 के सिलसिले में परियोजना महानिदेशक नियुक्त किया गया. उनके Leadership में ही भारत ने पहला स्वदेशी उपग्रह S.L.V. 3 Space में लांच किया. साल 1980 में उनके ही नेतृत्व में भारत ने रोहणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया और इसके बाद भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का एक महत्वपूर्ण सदस्य बन गया.

उनके इस योगदान के कारण उन्हें साल 1981में भारत के तीसरे सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. 1982 में उन्हें फिर से डीआरडीओ का Director बनाया गया. Director  में उनके नेतृत्व में Integrated Guided Missile Development Program शुरू किया गया, जहां पर उन्होंने अग्नि, और पृथ्वी जैसी कई स्वदेशी मिसाइल्स का डिजाइन तैयार किया, और उनके ही नेतृत्व में अग्नि, पृथ्वी जैसी कई स्वदेशी मिसाइल्स का सफल प्रक्षेपण भी हुआ. कलाम को जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री का विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग का सचिव नियुक्त किया गया. उनकी देख-रेख में भारत ने साल 1998 में राजस्थान के पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया.

भारत के राष्ट्रपति-
साल 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की N.D.A सरकार ने उन्हें भारत के 11वें राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना जिसका सभी विपक्षी दलों ने एकमत से समर्थन किया. 18 जुलाई 2002 को हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें 90 प्रतिशत वोट मिले. 25 जुलाई 2002 को उन्होंने भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. डॉ. कलाम भारत के तीसरे ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका था.
इससे पहले डॉ. राधाकृष्णन और डॉ. जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न दिया गया था. अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा जाता था. उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ था. कार्यकाल की समाप्ति पर उन्होंने एक बार फिर से भारत के राष्ट्रपति बनने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन कई राजनैतिक पार्टियों के बीच उनके नाम को लेकर आम सहमति नहीं बनी. इसलिए बाद में उन्होंने खुद यह विचार त्याग दिया.

Books and Awards-
राष्ट्रपति पद से सेवा मुक्त होने के बाद वह भारत के कई Institutes से  Visiting Professor के तौर पर जुड़े रहे. इसके आलावा उन्होंने Indian Institute of Space Science and Technology तिरुवनंतपुरम में चांसलर, Anna University Chennai, में Aerospace के प्रोफेसर पद पर कार्य किया. शिक्षण के अलावा उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमें से India 2020- A vision for the new millennium, Wings of fire: an autobiography, Ignited minds: Unleashing the power within India, Mission India, Indomitable Spirit  प्रमुख हैं. उनकी किताबों की मांग भारत के अलावा दक्षिण कोरिया में भी बहुत थी.

देश और समाज के प्रति उनके योगदान को देखते हुए. भारत सरकार ने उन्हें साल 1980 में पद्म भूषण, 1981 में पद्म विभूषण और इसके
अलावा 1997 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. इसके अलावा लगभग 40 से ज्यादा  विश्व विद्यालयों में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया.

निधन-
27 जुलाई 2015 को जब वह शिलोंग (मेघालय में) के Indian Institute of Management में अपना लेक्चर दे रहे थे. तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा. उस समय वह Planet Suitable for Life, topic पर लेक्चर दे रहे थे. अपने निधन से लगभग 9 घंटे पहले उन्होंने ट्वीट करके अपनी शिलोंग विजिट के बारे में बताया था. 30 जुलाई 2015 को कलाम को पूरे राजकीय सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में दफनाया गया. उनके अंतिम संस्कार में तीन लाख से भी ज्यादा लोग शामिल हुए थे. साल 2011 में उनकी लाइफ पर I Am kalam फिल्म बनी थी.

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