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फ़रवरी 28, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Suvichar

1 સમય ની સાથે ચાલવું , સમય ની સાથે રેહવું, તેના કરતા સમય ને ઓળખી ને ચાલવું વધારે યોગ્ય છે. 🙏🏻જય શ્રી કૃષ્ણ 🙏🏻 🌹શુભ સવાર 🌹 2 एक ‘इच्छा’ कुछ नहीं बदलती, एक ‘निर्णय’ कुछ कुछ बदलता है,            लेकिन एक ‘निश्चय’ सब कुछ बदल देता है . 💐💐💐💐🌹💐💐💐💐 "ये काम मुझसे नहीं होगा।" इससे बेहतर वाक्य है " एक बार कोशिश करके देखता हूँ।" 3 👌 ઉંચાઈ હમેશા શબ્દો ની હોવી જોઈએ.. અવાજ ની નહી.. 👌😊😎✌ 4 ઘર ના સભ્યો નો સ્નેહ ડૉક્ટર ની દવા કરતાય વધુ લાભદાયી હોય છે...!!! 5 🌹આંખો બંધ કરી દેવાથી મુસીબત જતી નથી , અને.......... મુસીબત આવ્યા વિના આંખ ઉઘડતીં નથી....!!! 6 હાથ જાણીતો ન હોવો જોઇએ      પીઠ  મા ખંજર હશે તો ચાલશે

RSS NA BIJA SARSANGHCHALK PUJYA GOVALKAR JI NI JANM JAYANTI

🚩 #राष्ट्रीय #स्वयंसेवक संघ के द्वितीय #सरसंघचालक तथा महान विचारक पूज्य #गोलवलकर जी #जयंती दिनांक 5 मार्च... 🚩श्री गुरूजीका जन्म माघ कृष्ण 11 संवत् 1963 तदनुसार महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था। वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनके पिता का नाम श्री सदाशिव राव उपाख्य 'भाऊ जी' तथा माता का श्रीमती लक्ष्मीबाई उपाख्य 'ताई' था। 🚩उनका बचपन में नाम माधव रखा गया पर परिवार में वे मधु के नाम से ही पुकारे जाते थे। पिताश्री सदाशिव राव प्रारम्भ में डाक-तार विभाग में कार्यरत थे परन्तु बाद में सन् 1908 में उनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में अध्यापक पद पर हो गयी। 🚩मधु जब मात्र दो वर्ष के थे तभी से उनकी शिक्षा प्रारम्भ हो गयी थी।पिताश्री भाऊजी जो भी उन्हें पढ़ाते थे उसे वे सहज ही कंठस्थ कर लेते थे। बालक मधु में कुशाग्र बुध्दि, ज्ञान की लालसा, असामान्य स्मरण शक्ति जैसे गुणों का समुच्चय बचपन से ही विकसित हो रहा था। 🚩सन् 1919 में उन्होंने 'हाई स्कूल की प्रवेश परीक्षा' में विशेष योग्यता दिखाकर छात्रवृत्ति प्राप्त की। 🚩सन् 1922 में 16 वर्ष की आयु में माधव ने मैट्रिक की परीक्

Sthanik raja manjur - khambhaliya taluko

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Total improvement teacher traning antargat science teacher ne mokalva babat - valsad

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Jilla vibhajan anvye navarachit jilla ma vahivati staff,teacher,school ni fanavani karava babat

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Hindi parixa pass karava mathi mukti apva babat

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Post office mathi banavi sakay chhe colour addrespruf

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Uchchatar pagar dhoran 9,20,31 ni manjuri mate ni kamgiri ma java babat

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Swami dayanand saraswati.

🚩आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जयंती 4 मार्च  (1824-1883 ) उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर' था। 🚩उन्होंने 1875 में एक महान आर्य सुधारक संगठन - आर्य समाज की स्थापना की। वे एक सन्यासी तथा एक महान चिंतक थे। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। 🚩स्वामीजी ने कर्म , सिद्धान्त, पुनर्जन्म,  ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाये। 🚩स्वामी दयानन्द के प्रमुख अनुयायियों में लाला हंसराज ने 1886 में लाहौर में 'दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज' की स्थापना की तथा स्वामी श्रद्धानन्द ने 1902  में हरिद्वार के निकट कांगड़ी में गुरुकुल की स्थापना की। 🚩दयानंद सरस्वती का असली नाम मूलशंकर था और उनका प्रारम्भिक जीवन बहुत आराम से बीता। आगे चलकर एक पण्डित बनने के लिए वे संस्कृत, वेद शास्त्रों व अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में लग गए। 🚩उनके जीवन में ऐसी बहुत सी घटनाएं हुईं, जिन्होंने उन्हें हिन्दूधर्म की पारम्परिक मान्यताओं और ईश्वर के बारे में गंभीर प्रश्न पूछने के लिए विवश कर दिया। 🚩अपनी छोटी बहन और चाचा की हैजे के क