Gazal

1

મોહતાજ ના કશાનો હતો કોણ માનશે
મારો પણ એક જમાનો હતો કોણ માનશે
ડાહ્યો ગણી રહ્યુ છે જગત જેને આજ-કાલ
એ આપનો દીવાનો હતો કોણ માનશે
હસવાનો તો મે આજે અભિનય કર્યો હતો
આઘાત દુર્દશાનો હતો કોણ માનશે જે શરાબી મનાઈ રહ્યો છે જગત મા
માણસ બહુ મજાનો હતો કોણ માનશે.

2
..................हर बात तुम्हारी अच्छी है.

मैं तुमसे बेहतर लिखता हूँ ,
पर जज्बात तुम्हारे अच्छे हैं !

मैं तुमसे बेहतर दिखता हूँ ,
पर अदा तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं खुश हरदम रहता हूँ ,
पर मुस्कान तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं अपने उसूलों पर चलता हूँ ,
पर ज़िद तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं एक बेहतर शख्सियत हूँ ,
पर सीरत तुम्हारी अच्छी हैं

मैं आसमान की चाह रखता हूँ,
पर उड़ानें तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं तुमसे बहुत बहस करता हूँ ,
पर दलीलें तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं तुमसे बेहतर गाता हूँ ,
पर धुन तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं गज़ल खूब कहता हूँ,
पर तकरीर तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं कितना भी कुछ कहता रहूँ ,
पर हर बात तुम्हारी अच्छी हैं !

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