सुविचार -2022
*आजकल लोग समझते कम,*
*समझाते ज्यादा हैं...*
*तभी तो मामले सुलझते कम,*
*उलझते ज्यादा हैं!*
*आरंभ हो और अंत न हो*
*मन इतना भी स्वतंत्र न हो*
*व्यथित हो और शब्द न हो*
*मन इतना भी परतंत्र न हो*
*मंजिल दूर ही सही पर घबराना मत*
*क्योंकि नदी कभी नहीं पूछती कि*
*समुन्दर अभी कितना दूर है।*
*मन खराब* हो तो भी
*शब्द खराब* ना बोले,
बाद में *मन अच्छा*
हो सकता है
मगर *शब्द* नहीं ।
*शुभ प्रभात*
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