शिव और सदाशिव में क्या अंतर है ?
शिव और सदाशिव में क्या अंतर है ?



1. शिव:
"शिव" शब्द का अर्थ है "कल्याणकारी"।
शिव त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में "महेश" या "संहारकर्ता" रूप में जाने जाते हैं।
वे शक्ति (पार्वती) के साथ सगुण रूप में पूजे जाते हैं।
शिव के अनेक रूप हैं, जैसे कि रुद्र, भैरव, नटराज, लिंग रूप आदि।
वे संसार की रचना, पालन और संहार में भाग लेते हैं।
शिव का संबंध योग, ध्यान और तंत्र से भी है।
2. सदाशिव:
"सदाशिव" का अर्थ है "सदा शिव", यानी शाश्वत, अनंत और पूर्ण शिव।
सदाशिव निर्गुण, निराकार, परब्रह्मतत्व माने जाते हैं।
वे शिव के सर्वोच्च, पूर्ण और अद्वितीय रूप हैं।
अनेक ग्रंथों में सदाशिव को पंचमुखी बताया गया है—ये पांच मुख पंचतत्त्वों और पंचक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वे संसार के पार, केवल चेतना के रूप में विद्यमान रहते हैं और परम मोक्ष के प्रतीक माने जाते हैं।
मुख्य अंतर:
निष्कर्ष:
शिव और सदाशिव में संबंध इस प्रकार है कि शिव संसार के भीतर कार्यरत देवता हैं, जबकि सदाशिव परम तत्व हैं, जो इस संसार से परे हैं। शिव को हम उनके विभिन्न रूपों में पूजते हैं, लेकिन सदाशिव ध्यान और अद्वैत भावना में अनुभव किए जाते हैं।
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