Shayari

(1) क्या दुआ करु मेरे अपनो के लिए ऐ_खुदा ....!!! बस यही दुआ है कि , मेरे अपने कभी किसी_दुआ_के_मोहताज_न_हो ....!!!
[2]  मिलावट है तेरे इश्क में कुछ
"इत्र" और "शराब" की,
तभी तो कुछ महकता हूँ मै,
कुछ बहकता हूँ मै!
[3]  मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है ... जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!!!!
[4] ******* जिस दिन खुद से दोस्ती हो जायेगी, इस कमबख्त अकेलेपन से निजात मिल जायेगी.. *******
[5] ये तो शौक है मेरा ददॅ लफ्जो मे बयां करने का, नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है.
[6]
नवम्बर की तरह हम भी अलविदा कह देंगें इक दिन......फिर ढूँढते फिरोगे हमें दिसम्बर
[7] इश्क़ है,
या,
कुछ और,
पर,
जो तेरे साथ है, वो किसी और के साथ नही॥
[8]
धोखा दिया था जब तूने मुझे. जिंदगी से मैं नाराज था,
सोचा कि दिल से तुझे निकाल दूं. मगर कंबख्त दिल भी तेरे पास था….
[9]
तड़पने का सलिका जिसे आता हो..
इश्क करने का हक सिर्फ उसी को

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‬:   नजरों से दूर हो कर भी, यूं तेरा रूबरू रहना,  किसी के पास रहने का, सलीका हो तो तुम सा हो।
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मैंने अपनी धड़कनों को रोक दिया उसी वक्त,
जब उसने मुझसे कहा मुझे खामोशी पसन्द है!!
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तेरी याद से मिल जाती है हर दर्द से निज़ात

लोग यूँ ही कहते हैं की दवाइयाँ महँगी हैं
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हम आज भी शतरंज़ का खेल अकेले ही खेलते हे , क्युकी दोस्तों के खिलाफ चाल चलना हमे आता नही ..।
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चाहत हे किसी चाहत को पाने की, चाहत हे चाह्त को आज्माने की. वो चाहे हमे या ना चाहे पर चाहत हे, उनकी चाह्त में मिट जाने की.
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रात कि तन्हाई में अकेले थे हम, दर्द कि महफ़िलो में रो रहे थे हम, आप भले ही हमारे कुछ नहीं लगते, फिर भी आपके बिना अधूरे लग रहे हे हम.
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💔
हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है।
उन्हे कैसे समझाऊ की एक ख्वाब अधुरा है मेरा…
वरना जीना तो मुझे भी
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एक भक्त कहता है :-

"चकित हूँ भगवन , तुझे कैसे रिझाऊं,,,
कोई वस्तु नहीं ऐसी जिसे तुझ पर चढाऊं...!!

भगवान ने उत्तर दिया : "संसार की हर वस्तु तुझे मैनें दी है। तेरे पास अपनी चीज सिर्फ तेरा अहंकार है, जो मैनें नहीं दिया, उसी को तूं मेरे अर्पण कर दे... तेरा जीवन सफल हो जाएगा......!!!!"
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इश्क ने मेरे दिल को इतना नाज़ुक कर दिया कि, चोट तुजे लगती हे तो दर्द मुजे होता हे. दीवाना क्या बताये इस दर्द का कैसा रिश्ता हे, आँख तेरी रोती हे तो आंशु मेरे निकलते हे.
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नमक की तरह हो गयी है जिंदगी, लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं !!!
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मौहब्बत की मिसाल में,
बस इतना ही कहूँगा ।
बेमिसाल सज़ा है,
किसी बेगुनाह के लिए ।
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मुझे इश्क़ रब से हे तो इबादत हे , मुझे इश्क़ दोस्तों से हे तो इनायत हे, मुझे इश्क़ तुजसे हे तो किस्मत हे, और तुजे इश्क़ मुझसे हे तो जन्नत हे.
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ज़ख्म बन जाने कि आदत हे उन्हें, रुलाकर मुस्कुराने कि आदत हे उन्हें, मिलेंगे कभी तो खूब रुलायंगे उन्हें, सुना हे रोते हुवे लिपट जाने कि आदत हे उन्हें.
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ज़िन्दगी को तनहा वीराने में रहने दो, ये वफ़ा कि बाते खयालो में रहने दो, हकीकत में आज़माने से टूट जाते हे दिल, ये इश्क़ मोहब्बत किताबो में रहने दो.

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