VASANT PANCHMI.

बसन्त पंचमी का महत्व
बसन्त पंचमी का महत्व
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12 जनवरी 16 को हिन्दू पंचांग विक्रमी संवत् 2072 माघ मास शुक्ल की पक्ष को पंचमी को वंसत पंचमी अर्थात सरस्वती पूजा का दिन मां सरस्वती की पूजा आरधना कर उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु वर्ष के सर्व श्रेष्ठ दिनो में से एक है जो विभिन्न शुभ कार्यो के शुभ आरंभ हेतु अत्यंत शुभ हैं।
वंसत पंचमी के दिन से भारत के कई हिस्सो मे बच्चे को प्रथम अक्षर ज्ञान की शुरुवात की जाती है।
यह मान्यता है की वसंत पंचमी के दिन विद्यांभ करने से बच्चे की की वाणी में मां सरस्वती स्वयं वास करती और बच्चे पर जीवन भर कृपा वर्षाती हैं। एवं बच्चों में विद्या एवं ज्ञान का विकास होता हैं जिस्से बच्चें मे श्रेष्ठता, सदाचार, तेजस्विता जेसे सद्द गुणों का आगमन होना प्रारंभ होता हैं, और बच्चा उत्तम स्मरण शक्ति युक्त विद्वान होता हैं।
इस दिन नये व्यवसाय का शुभ आरंभ या व्यवसाय हेतु नयी शाखा का शुभ आरंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता हैं।
वसंत पंचमी के दिन पूजा आरधना से मां की कृपा से अध्यात्म ज्ञाना में वृद्धि होती हैं।
नित्य कर्म से निवृत होकर श्वेत वस्त्र धारण करके उत्तर-पूर्व दिशा में या अपने पूजा स्थान में सरस्वती का चित्र-मूर्ति अपने सम्मुख स्थापन करे।
सर्व प्रथम पूजा का प्रारंभ श्री गणेशजी की पूजा से करे तत पश्चात ही मां सरस्वती की पूजा करें।
मां सरस्वती को श्वेत रंग अत्यंत प्रिय है। इस लिये पूजा में ज्यादा से ज्यादा श्वेत रंग की वस्तुओं का प्रयोग करें।
मां सरस्वती के वैदिक अथवा बीज मंत्रो का यथासंभव जाप करे।  और सरस्वती स्तोत्र, सरस्वती अष्टोत्तरनामावली, स्तोत्र एवं आरती कर के पूजा संपन्न करे।
इस तरह माँ की पूजा करे
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पूजा की सामग्री की तैयारी
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एक चौकी और उस पर बिछाने के लिए एक लाल रंग का कपड़ा ।
माँ सरस्वती की तस्वीर
गंगा जल,
मौली धागा,
नैवेध,
मिठाई (लड्डू या पेड़ा)
घी,
दीपक,
अष्टगंध,
चन्दन,
धुप
फूल, माला, पीले चावल और फल
पुस्तक और कलम ।
इस तरह पूजा करे
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पूजा शुरू करने से सबसे पहले आप एक मध्यम आकार की चौकी लें और उस पर आसन के लिए लाल रंग का कपड़ा बिछा दें ।
अब आसन पर माँ सरस्वती की तस्वीर को रखे ।
अब सबसे पहले घी का दीप जला ले क्योंकि किसी भी पूजा का आरंभ दीप जला कर ही किया जाता है ।
दीप जलने के बाद धुप को भी जला लें ।
अब भगवान गणेश का स्मरण करते हुए पूजा की विधि को आरंभ करे ।
सबसे पहले माँ सरस्वती से प्रार्थना करे की “हे माँ सरस्वती हमारी पूजन को स्वीकार करे”।
अब माँ सरस्वती को दीप देखते हुए कहे की “हे माँ ये दीप मै आपको समर्पित करता / करती हूँ” ।
दीप दिखने के बाद माँ सरस्वती को धुप दिखाते हुए कहे ”हे माँ ये धुप मै आपको समर्पित करती हूँ ”।
अब माँ सरस्वती को तिलक लगा कर फूल और अक्षत चढ़ाए ।
फिर उन्हें सफेद फूलो का माला चढ़ाए ।
अब मिठाई का भोग लगा कर उनसे भोग ग्रहण करने की आग्रह करे ।
अब पुस्तक और कलम माँ सरस्वती को समर्पित करे ।
अब कलम पर मौली धागा बांधे ।
अब पुस्तक और कलम पर तिलक लगा कर उस पर अक्षत छीटे ।
अब पुस्तक और कलम पर धुप और दीप दिखाएँ ।
अब माँ सरस्वती को गंगा जल समर्पित करे ।
माँ सरस्वती सरस्वती की पूजा हो जाने के बाद अब उनके मंत्र का 108 बार जाप करे।
  इस मन्त्र का जाप करे
।। ॐ श्री सरस्वत्यै नमः ।।
या
।। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः ।।
जाप पूरा हो जाने के बाद माँ सरस्वती के आगे हाँथ जोड़ कर उनसे प्राथना करे “हे माँ ये जाप और पूजा मै आपको समर्पित करता हूँ कृपया इसे स्वीकार करे और हमें सद्बुद्धि ,विद्या और अच्छी वाणी प्रदान कीजिये “।
प्रतिदिन करने हेतु सरस्वती मंत्र प्रयोग
प्रतिदिन सुबह स्नान इत्यादि से निवृत होने के बाद मंत्र जप आरंभ करें। अपने सामने मां सरस्वती का यंत्र या चित्र स्थापित करें । अब चित्र या यंत्र के ऊपर श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प व अक्षत (चावल) भेंट करें और धूप-दीप जलाकर देवी की पूजा करें और अपनी मनोकामना का मन में स्मरण करके स्फटिक की माला से किसी भी सरस्वती मंत्र की शांत मन से एक माला फेरें।
सरस्वती मूल मंत्र - ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।
सरस्वती मंत्र - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
सरस्वती गायत्री मंत्र -
१ - ॐ सरस्वत्यै विधमहे, ब्रह्मपुत्रयै धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात।
२ - ॐ वाग देव्यै विधमहे काम राज्या धीमहि । तन्नो सरस्वती: प्रचोदयात।
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एक विशेष ज्ञान
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जिनकी कुंडली मै राहू दूषित होकर बुरा प्रभाव दे रहा हैं । या जो बच्चे पढ़ाई मे कमजोर हैं, या गलत रास्ते पर शराब, सट्टा, जुआ आदि राह पर निकल गए हैं या जो हर बात बात पर झूठ बोलते हैं वो कल पूजा अवश्य करे या बच्चों से कराये ।
बसन्त पंचमी पर ये भी करे
प्रयोग
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बसंत पंचमी के दिन छह माह तक के बच्चों को पहली बार अन्न खिलाने की परंपरा भी निभाई जाती है। इसे अन्न प्राशन संस्कार यानी बच्चे को पहली बार अन्न खिलाना कहते हैं।
इस दिन दूध पीते बच्चे को नए कपड़े पहनाकर, चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर और उस पर बच्चे को बैठाकर मां सरस्वती की आराधना करके चांदी के चम्मच से खीर खिलाएं।
बच्चे की जीभ पर लिखें ऐं
मान्यता है कि बसंत पंचमी पर छोटे बच्चों को अक्षर अभ्यास करवाने से वह कुशाग्र बुद्धि का होता है। इस दिन माता-पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर चांदी या अनार की कलम से शहद से बच्चे की जीभ पर ऐं लिखें। इसके बाद सरस्वती का पूजन करें।
काले रंग की पट्टी व चाक (खडिय़ा) का भी पूजन करें। इस दिन सरस्वती स्वरूपा कलम व पुस्तक का पूजन करना चाहिए। सरस्वती के मूल मंत्र श्री ह्वी सरस्वत्यै स्वाहा से देवी का पूजन व स्मरण करना चाहिए।
जो लोग उच्च शिक्षा में सफल होना चाहते हैं, उन्हें सरस्वती पूजा वाले दिन किसी ब्राह्मण को वेदशास्त्र का दान करना चाहिए।
🌺🙏🏻 हरी ॐ🙏🏻

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